
The Aman Times
उत्तराखंड ब्यूरो
चमोली जिले के सलूड़ डुंग्रा गांव में बुधवार को विश्व प्रसिद्ध रम्माण मेले का धूमधाम से आयोजन किया गया।
इस दौरान पौराणिक परम्पराओं और पूजा अर्चना कर कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
सलूड़ गांव में आयोजित रम्माण मेले रामायण का ढोल दमाऊं की 18 तालों पर जागरों के साथ मंचन किया गया। इसके साथ ही कलाकारों ने यहां धूम-धाम के साथ भूमियाल देवता मंदिर के प्रांगण में आयोजित मेले में राम, लक्ष्मण, सीता व हनुमान के पात्रों ने ढोल-दमाऊ की थाप पर नृत्य करते हुए रामायण का मंचन किया। जिसमें राम जन्म, सीता स्वयंवर, वन प्रस्थान, सीता हरण, हनुमान मिलन, लंका दहन का वर्णन किया गया।
दर्शकों के मनोरंजन के लिए मुखौटा नृत्य आयोजित किया गया। जिसमें मोर-मोरनी नृत्य, बणियां- बणियांण, ख्यलारी आदि नृत्य किए गए। मेले के दौरान भूमियाल देवता के पाश्वा ने भी नृत्य किया। उसके बाद माल नृत्य किया गया।
रम्माण, सलूड़ गांव की 500 वर्ष से भी ज्यादा पुरानी परम्परा है।
संयुक्त राष्ट्र संघ के संगठन यूनेस्को द्वारा साल 2009 में इस रम्माण को विश्व की सांस्कृतिक धरोहर का दर्जा दिया गया था।
जोड़े पारंपरिक ढोल-दमाऊं की थाप पर मोर-मोरनी नृत्य, बण्या-बाणियांण, ख्यालरी, माल नृत्य सबको रोमांचित करने वाला होता है और कुरजोगी सबका मनोरंजन करता है।