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Mukota dance Rammavana festival of Salur Dungra village in Joshimath, people from all over the country to see!

यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर के रूप में दी गई है मान्यता

The aman times

उत्तराखंड ब्यूरो _

उत्तराखंड संस्कृति विभाग द्वारा प्रमुख मुखोटा नृत्य रम्मवांण का आयोजन सांस्कृतिक संपदा के सरंक्षण की दिशा में निसंदेह ही बहुत अच्छा प्रयास है।

उत्तराखंड के सीमांत जनपद चमोली के जोशीमठ के निकटवर्ती गांव सलूर डूंगरा में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले मुखोटा नृत्य रम्मवाण महोत्सव को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर के रुप में घोषित किया गया है।

 

उत्तराखंड के चमोली जिले के सलूड़ गांव में प्रतिवर्ष वैशाख (अप्रैल) में आयोजित होने वाला उत्सव है। यह उत्सव युनेस्को की विश्व धरोहर सूची में सम्मिलित है। [1] रामायण से जुड़े प्रसंगों के कारण इसे “रम्माण” उत्सव कहते हैं। रामायण को स्थानीय गढ़वाली भाषा मे ‘रम्माण’ भी बोला जाता है।

राम से जुड़े प्रसंगों के कारण इसे लोक शैली में प्रस्तुतिकरण, लोकनाट्य, स्वांग, देवयात्रा, परमपरागत पूजा, अनुष्ठान, भूमियाल देवता की वार्षिक पूजा, गांव के देवताओं की वार्षिक भेट आदि आयोजन इस उत्सव में होते हैं।

इसमें विभिन्न चरित्र लकड़ी के मुखौटे पहनते हैं जिन्हें ‘पत्तर’ कहते हैं। पत्तर शहतूत (केमू ) की लकड़ी पर कलात्मक तरीके से उत्कीर्ण किये होते हैं।

जोशीमठ के लोगों में इस आयोजन को लेकर बहुत ज्यादा उत्सुकता रहती है और उत्तराखंड के साथ ही देश विदेश के लोग इस धार्मिक आयोजन को देखने के लिए जोशीमठ पहुंचते हैं।

क्योंकि अब इस कार्यक्रम को विश्व धरोहर के रूप में मान्यता मिली हुई है तो शासन प्रशासन भी इस आयोजन को भव्य बनाने के लिए संस्कृति विभाग के साथ सहयोग करता हैं।

The Aman Times

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